इस दुनिया में कुछ ऐसी चीजे हैं अगर इनमें कोई खो गया तो उसका वापसी का रास्ता बड़ा ही मुश्किल है या यु कहे कि लगभग नामुमकिन है | समुद्र और आकाश ये दोनों ही परिवहन के बहुत ही महत्वपूर्ण माध्यम हैं | समुद्र और आकाश इन दोनो का ही कोई अंत नही है अगर एक बार इनमें कोई चला जाय तो या खो जाए तो उसको वापस जमीन नसीब होना बड़ा ही मुश्किल है | आपने हालीवुड मुवी 'लाइफ आफ पाई' तो देखी ही होगी | इस हालीवुड मुवी को देखने के बाद आपको समुद्र कि अथाहत का पता चलेगा |
लेकिन हम हमारे इस ब्लाग में समुद्र कि नहीं बल्कि आकाश की गहराई की बात करेंगे | आकाश इतना बड़ा है फिर भी हवाई जहाज इसमें खोते नहीं है | कि कैसे हवाई जहाज अपने गन्तव्य तक पहुँच पाते हैं ? हवाई जहाज आकाश में कैसे रास्ता बनाते हैं ?
ये सभी प्रश्न जिज्ञासा पैदा करता है ? तो आइये बिल्कुल आसान तरीके से इन जिज्ञासा भरे प्रश्नों को शांत किया जाए |
मानव आदि काल से ही लगी लकीर समुद्री यात्राए करता आ रहा हैं | भारत की खोज हो या अमेरिका की, ये खोजे इनही लबीं लबीं यात्राओ के परिणाम है | जब हम समुद्र के बीच में होते है तो वहाँ बिलकुल आसमान जैसा ही माहौल रहता है | जब प्राचीन समय मे आधुनिक दिशा सुरक्षा यत्रं नहीं थे तो पहले मानव तारे को देख कर दिशा का पता लगा करते थे | दिशा सुरक्षा यत्रों कि खोज से पृथ्वी की दिशाओं का निर्धारण बड़ी आसानी से हो गया | अब दिशाएं ज्ञात करना बड़ा आसान काम हो गया हैं |
आधुनिक दिशा निर्धारण यत्रों में दिशा का निर्धारण पृथ्वी की चुम्बकीय दिशा ही करती है | कम्पास इसका सबसे अच्छा उदाहरण है | वैसे आज कल तो GPS (Global Positioning system ) का जमाना है | आज कल तो GPS के प्रयोग से विमान ही नहीं बल्कि ओला उबर की गाड़ियां भी चलने लगी हैं |
आज के आधुनिक युग के विमानों में बहुत ही एड़वासं डिजिटल यंत्र होते हैं | जिनमे एक यन्त्र है जिसे एविएशन कि भाषा में होरिज़िन्टल सिचुएशन इंडिकेटर (HSI) कहते हैं | आप की जानकारी के लिए बता दे कि पृथ्वी के हर स्थान की स्थिति अक्षांश और देशांतर से ज्ञात की जाती है | दुनिया के हर देश का अलग- अलग अक्षांशतर और देशांतर होता है | उसी से उस देश के सटिक भोगोलिक स्थिति का पता चलता है | विश्व के सारे एयरपोर्ट के इन अक्षांश और देशांतर के निर्देशांक को विमान के कंप्यूटर में डाला जाता हैं | विमान को जिस जगह ले जाना होता है उसका एक युनिक कोड होता है जिसे कंप्यूटर में डाला दिया जाता है | हवाई जहाजजिस जगह से जहां जाना है उसे भर देने से रास्ते की लाइन HSI पर दिखायी देने लगती है |
जहाज का पायलट केवल इस लाइन पर हवाई जहाज को उड़ा कर चलता जाता है |
इस रास्ते में बीच में कई एयरपोर्ट आते हैं और हर एयरपोर्ट में एक एटिसी ATC (AIR TRAFFIC CONTROLLER ) स्टेशन होता है और इन्हीं स्टेशन में बैठे हुए लोगों से निर्देश लेते पायलट आकाश में उड़ता रहता है | हवाई जहाज को किस दिशा में उड़ान है? , कितनी ऊंचाई पर उड़ना है? यह निर्देश रास्ते के एयरपोर्ट बताते हैं, क्यों कि उनसे उनके क्षेत्र में उड़ने वाले सभी विमानों की स्थिति उन्हें पता होती है |
हर हवाई रूट की दिशा पहले से तय होती है ताकि विमान किसी दुसरे देश या अपने ही देश के किसी No Flying Zone में प्रवेश न कर जाए | जैसे कि डिफेंस क्षेत्र में |
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर हवाई जहाज सुदूर आसमान में उड़ते हुए अपने गन्तव्य तक सुरक्षित पहुँच पाते हैं | अब तो आपको पता ही चल गया होगा कि हवाई जहाज हवा में रास्ता बनाते हुए कैसे उड़ते है |
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