जब राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज का अविष्कार किया था, तब वो एक लकड़ी का डा़चा मात्र था | उन्होंने आधुनिक हवाई जहाज कि कल्पना भी नहीं कि होगी | आज आधुनिक हवाई जहाजों में वो सारी आधुनिक प्रोधोगिकी इस्तेमाल हो रही है जिसकी राइट ब्रदर्स ने कल्पना भी नहीं कि थी |
हवाई छेत्र हमेशा से ही जिझासाओ का छेत्र रहा हैं | यह एक ऐसा छेत्र रहा है जिसमें हर किसी कि जिझासाए रहती है | हवाई छेत्र के बारे में हर किसी के मन में बहुत सारी जिझासाए, बहुत सारे प्रश्न रहते हैं | कुछ प्रश्नों कि लिस्ट मेने भी बनाईं है जैसे कि-
हवाई जहाज में उडा़न के दोरान किया हुआ टायलेट जाता कहा है?
हवाई जहाज हवा में कैसे उड़ते है?
हवाई जहाज हवा में रास्ता कैसे बनाता है ?
क्या हवाई जहाज में हार्न होता है?
और भी ऐसे बहुत सारे मजेदार प्रश्न है जिनकी लिस्ट आप बना सकते हैं | हम हर एक प्रश्न पर एक आर्टिकल लिखेंगे और आपके हर प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करेगे |लेकिन आज हम बात करेगे केवल एक प्रश्न के बारे में और वो है कि-
हवाई जहाज में किया गया टायलेट आखिर जाता कहा है?
जब हम इस प्रश्न के बारे के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में कई जवाब आते है | और सबसे पहला ख्याल यह आता है कि टायलेट को हवा में ही छोड़ दिया जाता है | और वो कही भी आकर गिर जाता है | कई बार हमनें सुना भी है कि किसी खेत में बडा़ सा बर्फ का टुकड़ा गिरा है |
यदि आप ऐसा सोच रहे है तो आप एकदम गलत है | और इसकी सच्चाई तो यह है की जब आप हवाई जहाज में उड़ रहे होते है तो हवाई जहाज में एक भारी भरकम 200 गैलन का एक टैंक लगा होता है और उसी के अंदर सारा मल-मूत्र जमा होता रहता है | पिछले 30 सालों से हवाई जहाज में वैक्यूम टॉयलेट का इस्तेमाल होता है | जो पानी को छानकर एक तरफ भेज देता है और ठोस मल को दूसरी तरफ भेज देता है | आपको बतादें की मल जहाज में निचे लगे हुए 200 लीटर टैंक के अंदर मिल जाता है | यह 200 लीटर का टैंक हर उडान के बाद एयरपोर्ट पर खोला जाता है | और इसको हर उडा़न के बाद खाली कर दिया जाता है | आपको बतादें की यह टैंक बाहर की तरफ खुलता है और इस काम को एयरपोर्ट पर तैनात उस कंपनी के कर्मचारी करते है |
अब तो आपको यह बात पता चल ही गया होंगा की हवाई जहाज के टॉयलेट के अंदर की गंदगी आखिर कहा पर जाती है |
1 टिप्पणियाँ
अच्छी जानकारी आपने उपलब्ध कराई आपने। आप हमारे ब्लॉग पर भी अपनी
जवाब देंहटाएंसमीक्षा दिजिए। http://www.pranjalikaavya.in/ धन्यवाद