एक बार कि बात है, एक  बहुत ही बड़े बिजनेस मेन  ने  एयर इंडिया के विमान में  जयपुर से गोवा जाने के लिए प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें इधर-उधर  घुमाईं।



ओर  कुछ देर ढुढ़ने के बाद उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है। जिसके एक हाथ नहीं  था |बिजनेस मेन को उस व्यक्ति के पास बैठने में  बहुत ही झिझक  महसूस हुई।

उस  बिजनेस मेन  ने  विमान के क्रु मेंबर कि एक एयर होस्टेस से कहा  "मै इस सीट पर सुविधा पूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊँगा ।

क्योंकि मेरे साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है उसके एक हाथ नहीं हैं।

" उस   बिजनेस मेन ने एयर होस्टेस से सीट बदलने हेतु  विशेष आग्रह किया।

इस बात को सुनकर असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "सर क्या आप मुझे इसका कारण बता सकते है??"

बिजनेस मेन ने जवाब दिया "मैं ऐसे लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता हूँ । मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगा ।"

दिखने में  बहुत ही पढा़ लिखा और अमीर  प्रतीत होने वाले   बिजनेस मेन की यह बात सुनकर एयर होस्टेस बहुत ही आश्चर्य चकित  हो गई।

  बिजनेस मेन ने जोर देकर  एक बार फिर से एयरहोस्टेस से  कहा कि "मैं उस सीट पर  बिल्कुल भी नहीं बैठ सकता। अतः मुझे कोई अन्य सीट दे दी जाए।"

विमान में यात्री भार फुल था | एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं पाई ।

एयरहोस्टेस ने  बिजनेस मेन से  बहुत ही विनम्रता  भरी आवाज़ से कहा कि "सर इस विमान की इकोनोमी(ECONOMY) क्लास (CLASS)में कोई सीट खाली नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा परम दायित्व है।

अतः मैं विमान के कप्तान (CAPTAIN)से बात करती हूँ। कृपया तब तक  आप थोडा़  धैर्य (PATIENCE)रखें।" ऐसा कहकर  एयर होस्टेस कप्तान से बात करने के लिए cockpit  मे चली गई।

कुछ समय बाद एयर होस्टेस लोटती है ओर बोलती है , "सर! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए हमे बहुत ही खेद है |

इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह भी प्रथम श्रेणी(FIRST CLASS)में है। मैंने हमारी टीम के केप्टन से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है।"

  बिजनेस मेन  अत्यंत प्रसन्न हो गया, किन्तु इसके पहले कि वह  एक शब्द भी बोल पाता,

एयरहोस्टेस उस अपाहिज  व्यक्ति की ओर बढ़ गई   ओर बड़ी ही विनम्रता पूर्वक  आवाज में उनसे पूछा -

"सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे ? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशभ्य यात्री के साथ यात्रा कर के परेशान हों।

यह बात सुनकर विमान के बाकी यात्रियों ने ताली बजाकर इस निर्णय का जोरदार स्वागत किया। ओर वह  बिजनेस मेन तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही था  ।

तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा,

"मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ। और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर बोडर पर आतंक वादियो द्वारा किए गए बम विस्फोट में अपना एक हाथ खोया  था ।

सबसे पहले, जब मैंने इन महानुभाव जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था। की मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपना हाथ खोया ?

लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब मुझे अपने आप पर गर्व हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों के लिए अपना एक हाथ गवाया ।"

और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए।

  अब बिजनेस मेन  पूरी तरह से अपमानित होकर सर झुकाए सीट पर बैठ गया ।

"अगर विचारों में उदारता नहीं है तो ऐसी अमिरी का कोई मूल्य नहीं है।"

मैरे पास ये कहानी कही से आई थी, ओर जब मैंने  इसे पढ़ा तो  इसने मेरे हृदय को छू लिया  इसलिये  मै इसे पोस्ट कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों भी यह कहानी बहुत पसंद आएगी ।